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नान स्टाप राइटिंग चेलैंज 2022 एडीशन 1 गुरू एवं शिष्य( भाग 21)

      शीर्षक :-गुरू एवं शिष्य

        "सुशीला आज दस बजे बैंक जाकर अपनी पैन्शन लेकर आऊँगा इसलिए तुम मेरा नाश्ता  थोडा़ जल्दी बना देना। वैसे भी आजकल धूप बहुत तेज हो जाती है । तुम्है मालूम ही है कि मुझे धूप से इलर्जी है। "हरि प्रसाद अपनी पत्नी से बोले।

      "आपभी तो किसी की सुनते नहीं हो। आप अपने किसी शिष्य कं चैक काटकर देदो ।वह पझसे निकाल कर देदेगा।" सुशीला अपने पति को उलाहना देती हुई बोली।

      " सुशीला तुम समझती नही हो आजकल हमारे जमाने के शिष्य नही है जो गुरू की बात मानकर पूरी रात पानी में सोता रहेगा। आजकल तो अपना काम स्वयं करने मे ही भलाई है।"  उन्हौने सुशीला को समझाया।

          हरि प्रसाद एक  सरकारी स्कूल में अध्यापक थे। वह हमेशा अपने विद्यार्थियो को अच्छी शिक्षा देते थे। उनके विद्यार्थी भी उनका बहुत सम्मान करते थे। परनातु आज समय बदल चुका था ।

         अब गुरु व शिष्य का नाता पहले जैसा नही रहा है जैसे गुरू उसी तरह के शिष्य है।

      हरि प्रसाद स्वयं ही अपनी पैन्शन का पैसा निकलवाने बैंक पहुँच गये। वहाँ उन्हौने ने बहुत लम्बी लाइन देखी।  वह इतनी लम्बी लाइन देखकर सोचने लगे इस लाइन को कुछ कम होजाने देता हूँ क्यौकि वह इतनी देर तक वहाँ खडे़ नही रह पाते थे अतः वह वहाँ एक खाली   कुर्सी देखकर उसपर बैठ गये।

      उसी समय वहाँ  एक चपरासी आया और उनसे पूछा," सर आपको क्या काम है ? मुझे बताओ मै आपकी सहायता करूँगा।"

 उन्हौने उनको बताया ," बेटा मुझे अपनी पैन्शन  निकालनी थी परन्तु लम्बी लाईन है इसलिए मै अपना काम कुछ समय बाद कर लूँगा। "

     परन्तु उसने उनका पैसे निकालने का फार्म स्वयं भरकर  उनके हस्ताक्षर  करवाकर मैनेजर के पास लेकर गया। कुछ समय बाद बैंक मैनेजर उनके पैसे लेकर स्वयं आये और उनको पैसे देकर उनके पैर छुए और बोले," सर आपने मुझे पहचाना नहीं मै सत्तू अर्थात सतेन्द्र हूँ । आपका विद्यार्थी ?आज जो कुछ बना हूँ आपके कारण ही हूँ । आप उस दिन मेरी फीस जमा नही करते तो मै दसवी की परीक्षा नही दे सकता था।। और आपने मुझे बिना पैसौ के ट्यूशन भी पढा़ई थी आज जो भी हूँ आपके कारण हूँ  आप जैसे अध्यापक बहुत कम मिलते है।" इतना कहकर वह उनको अपनी केविन में लेकर गया और वहाँ उनको चाय मंगवाकर पिलाई।

    हरि प्रसाद का दिल खुश होगया कि देखो  जमाना कितना बदलगया है परन्तु यह आज भी नही बदला यह कितना सम्मान दे रहा है। 
   
     इसके बाद सतेन्द्र उनको बाहर तक छोड़ने आया और उनको रिक्शे में बिठाकर पैर छुए और बोला," सर आगे आप बैंक मत आया करो आप फौन कर दिया करो मै आपकी पैन्शन घर भिजवा दिया करूँगा। इतना कहकर चसने अपना विजिटिंग कार्ड उनको दे दिया।

       हरि प्रसाद ने उसे ढेरौ आशीष दिये और घर बापिस आगये।

नान स्टाप राइटिंग चेलैंज 2022 के लिए रचना।

नरेश शर्मा " पचौरी "
04/09/२०२२


        









           

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5 Comments

Achha likha hai 💐👍

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Seema Priyadarshini sahay

04-Sep-2022 09:18 PM

बहुत खूबसूरत

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Gunjan Kamal

04-Sep-2022 01:50 PM

शानदार भाग

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